महाराष्ट्र सरकार द्वारा किसानों के लिए शुरू की गई ‘एक रुपया फसल बीमा’ योजना अब बंद कर दी गई है। इस योजना के स्थान पर अब किसानों को खरीफ सीजन के लिए 2 प्रतिशत, रबी सीजन के लिए 1.5 प्रतिशत तथा नकदी फसलों के लिए 5 प्रतिशत कर देना होगा। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया।
संशोधित फसल बीमा योजना लागू की गई
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना वर्तमान में राज्य में खरीफ 2023 से रबी 2025-26 तक क्रियान्वित की गई है। हालाँकि, इस योजना के कार्यान्वयन में कुछ कमियों के कारण अब संशोधित फसल बीमा योजना लागू की जाएगी। इसमें फसल कटाई प्रयोगों के आधार पर बीमा का निर्धारण शामिल होगा और केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार इसमें संशोधन किया गया है।
बीमा प्रीमियम निर्धारण हेतु निविदा प्रक्रिया
संशोधित योजना के अंतर्गत बीमा कम्पनियों के चयन के लिए नई निविदा प्रक्रिया लागू की जाएगी। इस प्रक्रिया से प्राप्त बीमा प्रीमियम दरों की तुलना कर राज्य स्तरीय फसल बीमा समन्वय समिति के अनुमोदन के बाद योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा। इससे किसानों को अधिक पारदर्शी और लाभकारी बीमा सेवाएं मिलने की उम्मीद है।
फल फसल बीमा योजना जारी
मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत वर्तमान में क्रियान्वित पुनर्गठित मौसम आधारित फल फसल बीमा योजना को जारी रखने का निर्णय लिया है। इसलिए फल उत्पादकों को पहले की तरह ही सेवाएं मिलती रहेंगी।
नई योजना: कृषि के लिए पूंजी निवेश
कैबिनेट बैठक में एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। कृषि में पूंजी निवेश बढ़ाने और बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए नई योजनाएं लागू की जाएंगी। इस योजना के लिए अगले पांच वर्षों तक प्रतिवर्ष 5,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिससे कुल 25,000 करोड़ रुपये व्यय होने का अनुमान है।
किसानों के लिए प्रशिक्षण एवं मूल्यांकन
स्वीकृत आवंटन का 1 प्रतिशत भाग योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए आरक्षित रखा जाएगा। इसी प्रकार, 0.1 प्रतिशत धनराशि योजनाओं के मूल्यांकन के लिए आरक्षित रहेगी। यह मूल्यांकन किसी तृतीय पक्ष संस्था द्वारा कराया जाएगा, ताकि योजनाओं की पारदर्शिता एवं प्रभाव को सत्यापित किया जा सके।
प्राथमिकता और कार्यान्वयन
इस योजना को सीमांत, छोटे भूमिधारकों, दिव्यांगों और महिला किसानों को प्राथमिकता देते हुए क्रियान्वित किया जाएगा। इसके अलावा, जिलावार लक्ष्य निर्धारित किए जाएंगे और ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर उनका क्रियान्वयन किया जाएगा। वित्तीय प्रावधान में दो से तीन महीने का समय लगने की संभावना है, तथा तब तक अन्य योजनाओं से धन का उपयोग करने की मंजूरी दे दी गई है।